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About Us

स्वं राजीव दीक्षित भाई को 2011 में पहली बार सुनने का मौका मिला। उसके बाद ठान लिया था कि हमें राजीव दीक्षित के सपनों को साकार करना है। उसी के चलते 2016 में चेन्नई से गुरू निरंजन वर्मा से गौ विज्ञान सीखने को मिला और गांव आकर विपरित परिस्थितियों में गौ पालन का काम शुरू किया। अपना व्यवसाय छोड़कर इस तरह गौ पालन करना तो परिवार को और ही समाज को रास आया। धीरे धीरे ये बात भी समझ गई कि यदि गौ पालन करना है, तो गौ आधारित आयुर्वेद गौ आधारित खेती भी करनी होगी।

2017 में गौ आधारित कुछ दवाईयां भी बनाने लगे। जब लगा कि आयुर्वेद में बहुत दम है और इस काम को आगे बढ़ाया जा सकता है। तब 2020 में हरियाणा सरकार से आयुर्वेद फार्मेसी का लाइसेंस लेकर कुछ महत्वपूर्ण दवाईयों का निर्माण शुरू किया। क्योकि उस समय पर मैने महर्षि वाग्भट, महर्षि चरक, महर्षि सुषुप्त आदि अनेक ऋषियों के बारे में पढऩे का अवसर मिला।

इससे यह समझ आया कि इस समय जो आयुर्वेद के नाम पर बाजार खड़ा किया है, दरअसल वो आयुर्वेद है ही नही, वो तो कुछ ओर ही है। जब भी हम बाजार से कोई पाक जैसे च्यवनप्राश, ब्रहमरसायन, मुसली पाक, बादाम पाक इस तरह का कोई भी पाक बाजार से लेंगे तो उसमें तो इन सब में प्रिजर्वेटिव मिलता है। जो अपने आपमें जहर है, सब में चीनी है। जो सफेद जहर का काम करती हैं। अब बात आती है घी की क्योकि सब पाको में मुख्यत: गाय की घी होता है। जो फार्मेसियों के लिए स्वपन जैसा है। क्योकि 99 प्रतिशत फार्मेसियों के पास गाय नहीं है। सब फार्मेसियों के पास एल्यूमिनियम के बर्तन है, प्लास्टिक की पैकिंग है। सस्ते के चक्कर में दवाईयों की गुणवत्ता से कोई लेना देना नहीं है। सिर्फ पाक ही नहीं कोई भी आसव अरिष्ट बिना प्रिजर्वेटिव के नहीं मिलता। इन दवाईयों से ओर अधिक रोग होने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में आयुर्वेद से लोगों का भरोसा उठने लगा है। तब हमने अपनी फार्मेसी से शुद्ध गाय का देशी घी का बिलौना घी, मीठे में शुद्ध जैविक खांड, स्टील के 306 ग्रेड के बर्तन, कांच की पैकिंग शुरू की और हमने नारा दिया कि कोई कैमिकल नहीं, कोई शुगर नही, कोई प्रिजर्वेटिव नहीं, कोई एल्यूमिनियम नहीं, कोई प्लास्टिक नहीं।

 

तो हमने जब शुरू रूप से दवाईया बनानी शुरू की तो मार्केट के दाम व हमारे दामों में बहुत अंतर आया। परिणाम अच्छे मिलने पर लोगों ने हाथो हाथ हमारे प्रोडक्टों को उठाया। इसी कड़ी में हमने हरियाणा नस्ल की देसी गाय की नस्ल सुधारने का भी काम किया। 5 एकड़ में गौ आधारित खेती शुरू की। हमारा लक्ष्य मूल आयुर्वेद को खड़ा करना है। जो गांव में छोटी छोटी इकाइयों में ही संभव है। इसलिए हमने यहां प्रशिक्षण का काम भी शुरू किया। हम यहां गायो के साथ साथ मनुष्य की नस्ल सुधार का काम भी शुरू कर रहे है। किस तरह बुद्धिमान, पराक्रमी व स्वस्थ बच्चे पैदा किए जा सकते है, इस पर काम किया जा रहा है। हम सिर्फ मानव जीवन में सुधार पर ही काम नहीं कर रहे है, बल्कि आयुर्वेद से स्वस्थ व उच्च गुणवत्ता वाले बच्चों के प्रजनन पर भी काम किया जा रहा हैं। हम राजीव भाई का सपना भारत को भारतीयता के आधार पर खड़ा करना उस मंच पर काम कर रहे है। हमारा लक्ष्य आने वाली पीढिय़ों को उच्च कोटि के वैद्य बनाना तथा आयुर्वेद को फिर से विश्व में स्थापित करना है। प्राणी मात्र की रक्षा के लिए कार्य करना।